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4 Feb 2017 · 1 min read

जमाना खराब है

जमाना इतना बुरा हो जायेगा
जमाना इतना जलील कर देगा
किसी को भी बदनाम कर देगा
किसी का भी उपहास उड़ा देगा

ज़माने में लोग खुद गरज हो रहे हे
दर्द अपने अंदर है मर्ज किसी का खोज रहे हे
अपनी खोदी हुई कब्र देख नहीं प् रहे हैं
दूसरे की चिता पर घी छिड़क रहे हे

किसी का घर बर्बाद कर रहे हैं
किसी का घर उजाड़ रहे हैं
अपनी तो परेशानियन कम नहीं हैं
उनकी दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं

मानसिकता उनकी भंग हो गयी है
आरोपों की बुनियाद पर वो खड़े हैं
जरूरत से ज्यादा परेशां खुद हैं
फिर भी चलन में कोई कमी नहीं है !!

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