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4 Feb 2017 · 1 min read

कसम खा ले तून इंसान

कसम खा ले तून इंसान
नहीं बनेगा कभी हैवान

चाहे कितनी विपदा आये
नहीं डोलेगा तेरा ईमान

दुनिया तुझ सी ही तो है
जैसा तून वैसा उस का रूप

क्या फर्क है तुझ में और उस में
वही माट्टी और वो ही है खून

बस अपना तून दिल साफ़ रख
यही तेरा करेगा जीवन सफल

अच्छा करके अच्छा ही पायेगा
बुरा किया तो वो तेरे सामने आएगा

इस जन्म न फल पा सका भूल से
तो भुगतने फिर दोबारा जरूर आएगा

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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