Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
4 Feb 2017 · 1 min read

नफरत का बीज बोना आसान है

आग लग जायेगी
तूफ़ान उठ जायेंगे
दीवारे उठ जायेगी
क़त्ल हो जायेंगे
रिश्ते तार तार हो जायेंगे
पहचान बन्द हो जायेगी
आँखें फिर जायेंगी
जलजला उठ जाएगा

सब खत्म हो जाएगा

काश अगर एक बीज प्यार का बो दोगे
तो नगर प्यार से ही भर जाएगा
धरती कृष्ण मय हो जायेगी
सतयुग का आभास हो जाएगा
दिलो कि मिलावट खत्म हो जाएगी
इंसान कि इंसानियत जाग जाएगी
लोगो का डर रफूचक्कर हो जाएगा

हर तरफ बस जन्नत ही जन्नत होगी
दूरियन नफरतों कि मिट जाएगी

काश,,,,,वो बीज कौन डालेगा, यह कल्पना
कब अपना रूप लेगी , यह सोच एक हो जाये

तो “अजीत” सारे संसार कि दुनिया स्वर्ग हो जायेगी

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Loading...