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4 Feb 2017 · 1 min read

पल की खबर नहीं

पल भर में क्या हो जाये,
किस को खबर है,

पल भर में कौन बिछड़ जाये
किस को खबर है,

रास्ता बस दो कदम का है,
कब सांस निकल जाये
किस को खबर है,

एक रोटी का टुकड़ा उठाने
से पहले कब दम निकल जाये
किस को खबर है

सामने हो कारवां आने वाले
कल का, कब हम इतिहास हो जाये
किस को खबर है,

इस भाग दौड़ की जिन्दगी में
घर से निकलना जरूरी है,
सामने हो मौत खड़ी, यह
किस को खबर है

कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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