Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Feb 2017 · 1 min read

प्रीत बावरी

भोली-सी ये प्रीत बावरी,
मन मेरा भरमाती है ।
पी’ आयेंगे, चुपके चुपके,
कानों में कह जाती है ।

स्वप्निल नैना द्वार निहारें,
मुख पर लाली छाती है।
हवा प्रेम के नये नये-से
किस्से रोज़ सुनाती है।

सुख-दुख का ये सागर जीवन,
पार करेंगे मिलकर हम ।
बीतेगा अब पल पल संग संग
सीख़ मुझे दे जाती हैं।
——राजश्री——

Loading...