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2 Feb 2017 · 1 min read

बेटियाँ -- निवातिया डी. के.

बेटियाँ

घर आँगन की पहचान होती है बेटियाँ
हर चेहरे की मुस्कान होती है बेटियाँ
राम, कृष्ण भी लेकर आते है अवतार
ममता का ऐसा भण्डार होती है बेटियाँ !!

चंदन की खुशबु सी महकती है बेटियाँ
बन कोयल सी मधुर कूकती है बेटियाँ
चहकता है इनसे घर का कोना – कोना
चिड़ियों सी आँगन में झूमती है बेटियाँ !!

अपने हाथो से द्वार सजाती है बेटियाँ
स्वच्छता की पहचान बनती है बेटियाँ
कलि, फूल, खुशबु बन महकाती आँगन
घर को जन्नत का रूप देती है बेटियाँ !!

गुलशन सा आशियाना बनाती है
जंहा पड़े कदम पह्चान बनाती है
लक्ष्मी, सरस्वती, बनकर आती है
खुशियो का खजाना होती है बेटियाँ !!

सूरज की किरणों सी दमकती है
चंद्र की शीतलता सी चमकती है
सितारों की तरह वो झलकती है
जलते दीपक की लौ होती है बेटियाँ !!

हर पूजा, प्रार्थना यज्ञ की स्वामिनी
अग्नि, वायु, पृथ्वी समरूप तारिणी
सम्पूर्ण सृष्टि की जो जीवन दायिनी
जीने का मूल मंत्र होती है बेटियाँ !!

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D. K. Nivatiya
निवातिया डी. के.

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