Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Feb 2017 · 1 min read

** भगवान के चरण कमल **

भगवन के चरण-कमल
कितने मनोरम सुंदर है
मन चाहता है मन को
इन्ही में अर्पण कर दूं
हम कितने स्वार्थी हैं
जब दुःख आते है तब
दोष देते हैं भगवान को
जब सुख आते है तो
सुक्रिया तक नहीं करते
उस करतमकर्ता का
हर पल हर क्षण उसी को
अर्पण करदो और देखो
उस करतमकर्ता का कमाल
मन में विश्वास रखो धैर्य रखो
वो हमसे दूर नहीं है हम ही
उससे दूर होते जा रहे हैं
वह तो सदा से ही हमारा है
हमारा इंतजार करता है
सच्चे प्रेमी की तरह
निस्वार्थ निर्मोही शांत
जिस पर परिवर्तन का
कोई असर नहीं होता
जो सदा से एक रस है
और जिसे किसी में रस
नहीं आता है फिर भी
वो नीरस नहीं है ।।?मधुप बैरागी

Loading...