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1 Feb 2017 · 1 min read

वागीश्वरी जयंती

जय हो वीणावादिनी

जय हो ज्ञानदायिनी

विद्या ,बुद्धि ,ज्ञान की देवी

करो मेधा प्रखर वाग्देवी।

माघ मास शुक्लपक्ष पंचमी

वागीश्वरी जयंती

पूजा-आराधना शाश्वत ज्ञान हेतु

शीश नमन्ति !

हे माँ !

उन मस्तिष्क का विवेक

जाग्रत रखना

जिनकी अँगुलियों को

भोले जनमानस ने

परमाणु – बटन दबाने का अधिकार सौंप दिया है ,

उन स्वार्थ की परतों को उधेड़ देना

जिन्होंने मानवता की पीठ में खंज़र घौंप दिया है।

उन मनीषियों की प्रतिभा प्रचंड प्रखर करना

जो स्वयं को जलाकर

रोशनी के हेतु हैं ,

कल और आज के

धवल – सबल सेतु हैं।

उन दीन -दुखी , निबल, ज़र्ज़र को संबल देना

जो मूल्यों की धरोहर सहेजे हैं,

वक़्त के ज़ुल्म-ओ-सितम को सहकर

निष्ठा को आज भी लगाए कलेज़े हैं।

उन दिमांगों में स्त्री-गरिमा की ज्योति प्रदीप्त करना

जो भोग-उपभोग का मानस लिए भटकते हैं,

असहाय समाज की आँख में

यदाकदा नहीं अब रोज़ खटकते हैं।

हे माँ !

भटके हुए जीव – जगत को

सुरमयी गीत सुनाकर उजियारा पथ दिखा देना ,

जीवन- संगीत का

दिव्य बसंती -राग सिखा देना।

– रवीन्द्र सिंह यादव

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