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31 Jan 2017 · 1 min read

सपने और हक़ीक़त ....

हक़ीक़त सपनों से ही होती है हक़ीक़त
सपनों के बिना हक़ीक़त में वोह बात नहीं होती
हम तो दिन में भी सँजोए हैं आँखो में सपने
सपनों के बिना रात भी रात नहीं होती
लिख लेता हूँ सपनों को दिल पे
कई बार तो यह क़लम भी साथ नहीं होती
जज़्बातों से भरे लमहों में
कई बार तो कोई बात भी नहीं होती
हक़ीक़त सपनों से ही होती है हक़ीक़त
सपनों के बिना हक़ीक़त में वोह बात नहीं होती
– राजेश्वर

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