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31 Jan 2017 · 1 min read

......की तरह

भाड़े की भीड़
जाडे‌ की धूप
अधिक साथ नहीं देती
खुशियों की तरह

धूप का आतंकी रूप
डरा डरा सा है
अपनों के आतंक सेc
पड़ौसियों की तरह

अवसरवादियों का समूह
सत्ता हाथ से जाने पर
कट फट जाता है
काई की तरह

संविधान संशोधन सस्ते हैंं
रास्ते भी हैं
वोटरों को लुभाने के लिये
साहबनो प्रकरण की तरह

विवाह है आत्मा का मिलन
समझौता है निकाह
विवाह टुटता नहीं
तलाक की तरह

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