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28 Jan 2017 · 1 min read

नए नए नित छंद

कलम स्वरूपी पुष्प से ,निकलेगा मकरंद !
यही सोच रचवा रही,..नए नए नित छंद!!

करें लेखनी से नही,औरौं का अपमान !
होते है साहित्य के,पंडित वही महान !!
रमेश शर्मा.

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