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27 Jan 2017 · 1 min read

गणेश जी की स्तुति

पान फूल मेवा जो चढ़ावें गणपति जी को
मन की मुरादें फिर मनचाही पाया है।।

अंधन को आँख देवे कोढ़िन को काया जो
बाँझन को पुत्र देवे निरधन को माया है।।

ध्यान धरता है जो मन में गणेश का
घर परिवार सुखी सुखी रहे काया है।।

सिद्ध करे काज और दीनन की लाज रखे
जय गणेश आरती को आपने जो गाया है।।

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