Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Jan 2017 · 1 min read

भाई जी

भाई जी
2222 2222 222

मरते वो इंसान जहां में भाई जी।।
रखते ना पहचान जहां में भाई जी।।

तोड़ेंगे जंजीर जहर ही जाति’ है
अपना है अरमान जहां में भाई जी।।

भारतमाँ सबको जां से भी प्यारी हो,
कर देना बलिदान जहां में भाई जी ।।

विश्व पटल पर अब ये परचम बटवा दो
इस माटी में जान जहां में भाई जी।।

समता की बौछार उड़ा दो दुनिया में,
सूर, ‘सरल’, रसखान जहां में भाई जी।।

-साहेबलाल ‘सरल’

Loading...