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27 Jan 2017 · 1 min read

देश के वीरों के लिए

मेरी कविता देश के वीरों को समर्पित है।

ना धन चाहिए, ना रतन चाहिए।
हमको, पूरा मेरा वतन चाहिए।।

कट गये जिनके सर, इस वतन के लिए।
ऐसे वीरों का हमको, संग चाहिए।।

माँ के चेहरे पर ना, कोई शिकन चाहिए।
बेटियों की भी आँखें ना, नम चाहिए।।

मिट गये देश के लिए, जो हँसते हुए।
ऐसे देश में हमको, जनम चाहिए।।

ना धन चाहिए, ना रतन चाहिए।
हमको, पूरा मेरा वतन चाहिए।।

कवि: आलोक सिंह प्रतापगढ़ी

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