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26 Jan 2017 · 1 min read

***परिचय मेरा बस इतना है****

*आज मैं करवाती हूं,
आपका परिचय अपने आप से|
शब्द-शक्ति,शब्द-गुण,
अलंकार, लय, तुक, छंद,
रस,और चित्रात्मक भाषा,
यह सभी है मेरे सौंदर्य रूपी संसार में|

*मैं कविता हूँ!
रस की अनुभूति
जीवन में भर देती हूँ|
सुंदर अर्थ को भी प्रकट
झट से कर देती हूँ|

*लोकोत्तर आनंद देने वाली रचना
कही जाती हूँ|
जीवन की अनुभूति
तभी में कहलाती हूँ|

*संसार के सुख-दुख से परे,
अनूठा संसार और संतोष
प्रदान करती हूँ|
आत्मा के तारों को झंकृत कर,
आलौकिक आनंद प्रदान करती हूँ|

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