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25 Jan 2017 · 1 min read

माँ बोलो

माँ बोलो
मेरा था क्या कसूर
क्यों अपने से दूर किया
तुम्हें किसने मजबूर किया
तुम तो ममता से ओत-प्रोत
फिर कदम चले तेरे किस ओर
क्यों तुमने मुझे मिटा दिया
इस दुनिया में आने न दिया
माँ
मेरी बस यही एक गलती थी
एक बेटी तेरे गर्भ में पलती थी
बेटे की चाह में किया खतम
तूने कर दी हत्या मेरी निर्मम
अभिशप्त बेटियाँ इतनी किंचित
माँ भी न करेगी उन्हें सिंचित
क्यों बेटी का कोई अस्तित्व नहीं
उन्हें जीवित रहने का भी हक नहीं
माँ
तू भी तो एक बेटी ही थी
क्या तेरी माँ ने तुम्हें मारा था
तेरा जीवन संहारा था
माँ
बेटी तुझ पर बोझ बनी
तूने अपनी ही छाया कोख में मारी है
नारी मुक्ति की बातें करती
क्या सच में तू
इक्कीसवीं सदी की नारी है।

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