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24 Jan 2017 · 1 min read

"शब्दऔर समर्पण"

है मेरे पास इक दरिया खामोशी का ,
और कुछ शब्द न्योछावर हैं तुम पर,
मखमल से उडते ख्वाबों पर,
मन तैरा करता है जज्बातों संग,
नयी सुबह की उम्मीदों का,
कब रहा तलबगार ये मन ,
बस कारवां रहा शब्द और समर्पण का ….
….निधि….

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