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22 Jan 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

किसी को बातो से बहलाना नही मुश्किल।
रूठें किसी अपने को मनाना नही मश्किल।

अपनी खूबियों व अंदाज-ए-फ़न से।
किसी के दिल में उतर जाना नही मश्किल।

मेहनत कर पसीना बहाकर।
नसीब अपना चमकाना नही मुश्किल।

पिसकर हिना की तरह सिल पर।
ख़ुदी को कर बुलंद आफताब बनाना नही मुश्किल।

अमन की वर्षा कर जहाँ में।
आग-ए-नफरत बुझाना नही मुश्किल।

सुनकर कुछ शिकवें-शिकायतें-ए-सुधा।
रिश्ता -ए-दिल निभाना नही-मुश्किल।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

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