Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
28 Aug 2016 · 1 min read

कोई बतलाए आख़िर क्या करूं मैं

कोई बतलाए आख़िर क्या करूं मैं
छुपाऊँ क्या मैं ज़ाहिर क्या करूं मैं

‘ब’बातिन हूँ मैं ग़म में चूर लेकिन
बहुत खुश हूँ बज़ाहिर क्या करूं मैं

यहाँ तो मौत है’ ना ज़िंदगी है
यहाँ ज़िक्रे अनासिर क्या करूं मैं

ये खुद के साथ रहना इक हुनर है
तुझे इस फ़न में माहिर क्या करूं मैं

तेरे अतराफ़ में तो बस ख़ला है
ऐ मेरे दोस्त ‘नासिर’ क्या करूं मैं

– नासिर राव

Loading...