Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Aug 2016 · 1 min read

गीत-आज मिलन की रात-रामबली गुप्ता

गीत

आज मिलन की रात सखी! प्रियतम से मिलने जाऊँगी।

लोक लाज सब छोड़ जगत के प्रीत की रीत निभाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने………

जब निशा मध्य हो आएगी शशि स्वच्छ छटा बिखराएगा।
मैं सज-धज कुसुमाभूषण से निज अंग-अंग महकाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने……………..

यूँ सहज ना सम्मुख जाऊंगी, जा कुंजों में छिप जाऊंगी।
पायल-चूड़ी खनका पहले उनको थोड़ा तड़पाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने……………….

जब प्रेमाकुल हो जाएंगे कुछ व्याकुल वो हो जाएंगे।
थोड़ा शरमा, थोड़ा सकुचा फिर निकट चली मैं जाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने……………

जब हाथ वो मेरा धर लेंगे बाहों मे अपने भर लेंगे।
उर में उनके छिप जाऊंगी सानिध्य-स्नेह-सुख पाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने……………….

तन-मन का फिर मिलना होगा नैनों में रति-परिणय होगा।
चितवन से प्यास जगा मन में अधरों से मधु छलकाऊंगी।।
प्रियतम से मिलने…………….

फिर होंगी बातें सुख-दुख की, मिलने की और बिछुड़ने की।
नयनों से नीर बहाऊंगी सब हिय का हाल सुनाऊंगी।।
प्रियतम से………..

सखि! प्रिय से मिलने जाऊंगी।

रचना-रामबली गुप्ता

Loading...