Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 Nov 2016 · 1 min read

जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है

जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है
किसी पत्थर को आख़िर आह भरते किसने देखा है

सदा से आते जाते हैं मौसम ये रुत बहारों की
जहां में सुख-दुख की शै को ठहरते किसने देखा है

वक़्त ने बहुतों को मारा है मगर ए दुनियाँ वालो
मुझे ये बतलाओ वक़्त को मरते किसने किसने देखा है

काठ की हां डी इक बार ही चढ़ती है सुन लो
गिर चुके जो नज़रों से उभरते किसने देखा है

रूह निकली है’सरु’ बन के बादल सीने से फिर भी
इस समंदर को बनते बिखरते किसने देखा है

नाज़ गुल को था ख़ूबसूरती -ओ-खुश्बू पे अपनी
आँधियाँ ले गई जिनको सँवरते किसने देखा है

बहुत खाते हैं कस्में संग में जीने और मरने की
यहाँ मरने वालों के संग मरते किसने देखा है

—–सुरेश सांगवान’सरु’

Loading...