Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Nov 2016 · 1 min read

बहुत बेकद्र होती है बुरे व्यवहार से जिन्दगी यहाँ जहाँ…

बहुत बेकद्र होती है बुरे व्यवहार से जिन्दगी यहाँ

जहाँ उम्र अपनी पाठशाला की जमी छोड़ देती है

बचपन की शरारतें चंचल नादान सुकुमार होती है
खिलते चेहरों पर मधुर कोमल हँसी छोड़ देती है

कमसिन सी उम्र किशोरावस्था में चहकती है
जवानी के घोडों की लगाम खुली छोड़ देती है

अजमाता है अपने को झूठ फरेब की दुनियाँ में
बुरे दिनों में नियति दिल में बेबसी छोड़ देती है

बुढापे में हाथ पैर काम करना बन्द कर देते है
मकड़ी के बुनेे से जालों को दृष्टि छोड़ देती है

मौत की चौखट तक घिसट घिसट आये इंसान
आखिरी मोड़ पर पहचान जिंदगी छोड़ देती है

डॉ मधु त्रिवेदी

Loading...