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23 Nov 2016 · 1 min read

झूठ के बीच पल न पाये हम

झूठ के बीच पल न पाये हम
साथ दुनिया के’ चल न पाये हम

जी रहे लोग जिंदगी दुहरी
रंग में उनके’ ढल न पाये हम

प्रेम बंधन में बँध गए ऐसे
जिन्दगी भर निकल न पाये हम

लोभ की हर तरफ जमी काई
फिर भी देखो फिसल न पाये हम

दर्द तो हर कहीं दिखे हमको
बन के’ आँसू पिघल न पाये हम

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