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23 Nov 2016 · 1 min read

■ तुम जिंदगी हो मेरी ■

■ मुक्तक ■

तुम जिंदगी। हो’ मेरी तुम ही मे’रे खुदा हो
माँगी है ये दुआएँ उनका ही आसरा हो

अब यार क्या सुनाये दास्तान ए मुहब्बत
क्या लुफ़्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो

नितिन शर्मा

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