Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
8 Nov 2016 · 1 min read

मुक्तक

दर्द के फूल पिरो कर प्रीत डोर में ।
टाँक यादों के मोती ओर- छोर में ।
यूँ गुँथी पवित्र बंधन की माला,
फैलाती सुगंध प्रिय चहुँ ओर में ।

Loading...