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6 Nov 2016 · 1 min read

गीत

उलझ- उलझ कर सुलझ- सुलझ कर, फिर से उलझ जाती हूँ ।
तुम्हें जब उदास पाती हूँ ।

मचल- मचल कर, संभल- संभल कर, फिर से मचल जाती हूँ ।
जब दिल के पास पाती हूँ ।

बिखर- बिखर कर, सिमट- सिमट कर, फिर से बिखर जाती हूँ ।
जब दूर तुमको पाती हूँ ।

भटक- भटक कर, ठहर- ठहर कर, फिर से भटक जाती हूँ ।
जब ख़ुद से ख़फ़ा पाती हूँ ।

निखर-निखर कर, संवर- संवर कर, फिर से निखर जाती हूँ।
जब प्यार तेरा पाती हूँ ।

श्रीमती रवि शर्मा

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