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5 Nov 2016 · 1 min read

बुदबुदाते हो

होठ पर आकर क्यों बुदबुदाते हो
नीदों में आ क्यों रातें उजाड़ते हो
जब से मिलें हो तुम ख्याव बन गई
आ यादों में क्यों सब्जबाग दिखाते हो

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