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29 Oct 2016 · 1 min read

मै आज दीवाली मनाऊ कैसे/मंदीप

मै आज दीवाली मनाऊ कैसे/मंदीप

मै आज दीवाली मनाऊ कैसे,
मेरे यार पास नही दीप जलाऊ कैसे।

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कटती नही बैरण लम्भी राते,
ये बात मै बताऊ कैसे।

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है कितनी सिकायते ऐ जिंदगी,
मै मेरी सिकायत सुनाऊ कैसे।

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वो आयेगा या नही आयेगा,
मै अपने मन को समजाऊ कैसे।

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जाती नही उन की यादे मन से,
अब उन की यादो को बुलाऊ कैसे।

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यार ही नही मेरे पास
मै मेरे यौवन को सजाऊ कैसे।

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तड़प रहा मेरा यौवन बिन साजन,
यौवन की तड़प तुम्हारे बिन भुजाऊ कैसे।

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“मंदीप” कितनी ही राते बिल्कति सोई,
मै मेरे आँसुओ से बिगा तकिया दिखाऊँ कैसे।

मंदीपसाई

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