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19 Oct 2016 · 1 min read

देश -परदेश

छोड़ के देश परदेश तू क्यों चला
नोट की चाह में तू जुदा हो चला
रोज अपनी भूमि को करे याद वो
छोड़ यह देश नूतन जहाँ को चला

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