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16 Oct 2016 · 1 min read

हँसी आज दिल पे /ग़ज़ल

बहर 122 / 122 / 122 / 122

हँसी आज दिल पे लुटाने चला हूँ
उसे राज दिल का बताने चला हूँ

फिदा हो गयें यूं उसे देखकर हम
मैं अरमान दिल का सजाने चला हूँ

वफ़ा में खुदाई नहीं याद अब तो
सनम को खुदा मैं बनाने चला हूँ

सुना है मुझे भूल अब वो गई है
उसे याद अपनी दिलाने चला हूँ

पता ही नहीं क्यों खफ़ा है सनम वो
कहे क्या वफ़ा को मनाने चला हूं
:-दुष्यंत कुमार पटेल”

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