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14 Oct 2016 · 1 min read

फूल - सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए ( ग़ज़ल) पोस्ट १९

ग़ज़ल ::: फूल – सी कोमल गुलाबी ताज़गी ले आइए
जोड़ दे जो दो दिलों को सादगी ले आइए

तब कहेंगे मत मिटो अपने वतन पे दोस्तों
जो यहॉ आकर न जाये , आदमी ले आइए

है अँधेरों को जरूरत आइने की आज भी
जो कभी बुझने न पाये रोशनी ले आइए

याद आते हों तुम्हे न वायदे हमसे किये
फेहरिश्त हो जिसमें लिखी वो डायरी ले आइए

दे सके जो ” देश के मुरझे चमन को
वो छलकते प्यार की ही शायरी ले आइए ।।

—– जितेन्द्र कमल आनंद

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