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13 Oct 2016 · 1 min read

जरुरत क्या है मै दुश्मन बनाऊ ज़माने को जब मेरे अपने ही काफ़ी है मुझे रुलाने को

जरुरत क्या है मै दुश्मन बनाऊ ज़माने को
जब मेरे अपने ही काफ़ी है मुझे रुलाने को
.
काश मै उस युग मे होता,जिसमे प्यार मुमकिन होत

..,………अफ़सोस…………..

मै कलयुग मे हुआ ,जिसमे मतलब के सिवा कुछ नहीं होता

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