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7 Oct 2016 · 1 min read

छाया मत छूना

छाया मत छूना
मेरा मन
मत जगाना बीती याद
आकुलित करती याद

छाया जो तुमने छुआ
मेरा भूत
वेदना तृष्णा मचलती
रंगना मत मेरा तन मन

छाया जो तुमने स्पर्श
मेरा किया
मन में हलचल मचाती
रूह में रोमांच जगाती

छाया जो तुमने प्रणय
मेरा किया
रग रग सिहरन खिली
मस्त मस्ती सी खेली

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