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17 Aug 2016 · 1 min read

दोहा छंदाधारित मुक्तक

70वें स्वाधीनता दिवस पर दोहा मुक्तक शैली में देश को समर्पित एक रचना।

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माटी अपने देश की, इसमें बसती जान।
इसकी रक्षा मिल करें, देकर अपने प्रान।1
इसकी इज़्ज़त सब करें, करें न कोई क्लेश।
हिलमिल कर रक्षा करें, और बढ़ाएं शान।2

राग द्वेष सब भूल कर, मिल कर करें प्रयास।
बढ़े राष्ट्र में एकता, और देश का मान।3
अब प्रकाश नव प्रगति का, फैले चारों ओर।
लोग राष्ट्र निर्माण में, झोंकें अपनी जान।4

भारत माँ की शान में, दाग नहीं लग जाय।
मस्तक यह ऊंचा रहे, दें पूरा सम्मान।5
झंडा भारतवर्ष का , उच्च शिखर फहराय।
रक्षा ध्वज की हो तभी, जब सब हों कुर्बान।6

ज्वाला धधके प्रेम की, कर पूरा विश्वास।
टेढ़ी नज़र दुश्मन करे, लें उसका बलिदान।7
सीमा पर चौकस रहें, भूल गये दिन रात।
लांघे सीमा जो अगर, सैनिक लेंगे जान।8

आज प्रतिज्ञा हम करें, हमसे हो न भूल।
जियें मरें हम देश हित, प्रभु दो यह वरदान।9
अपने पीछे जग चले, इतना ऊंचा नाम।
जिस माटी से हम जुड़े, है उस पर अभिमान।10
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स्वधीनता दिवस की शुभकामनाएं,
????????जय हिंद????????
प्रवीण त्रिपाठी 15 अगस्त 2016

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