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1 Oct 2016 · 1 min read

अपनों ने ही हमको संभलने नही दिया

अपनों ने ही हमको संभलने नही दिया
कदम ब कदम हमको चलने नही दिया
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ढूंढते ही रहे वो अश्क़ आँखों मे मेरी
कतरा भी हमने एक टपकने नही दिया
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संभाल के रखा है बचपन भी इस कदर
बच्चा भी अपने अंदर मरने नही दिया
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अहसान दुश्मनो के ज्यादा हैं दोस्तों
भरम झुठा उन्होंने कभी पलने नही दिया
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तिनका तिनका सा संभाला है तूने रब
वजूद कपिल का बिखरने नही दिया
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कपिल कुमार
01/10/2016

अश्क़….आँसू

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