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24 Sep 2016 · 1 min read

मुल्क ऐसा दुष्ट वो हैवान है

मुल्क ऐसा दुष्ट वो हैवान है
मौत से क्यों अपनी अंजान है

वार चोरों सा हमेशा छिप करे
जो किसी शैतान की पहचान है

रोज लोगों को करे बर्बाद वो
बस तबाही का यही फरमान है

जो सजाये आज अपनी ही चिता
जा रहा जो राह वो शमशान है

बाप से निकला यहाँ बेटा कभी
इसलिये थोड़ा अभी नादान है

बाँट बटवारा देश का जिसने किया
वो जहाँ में आज क्यों बेईमान है

जानता है जो न शिष्टाचार यह
बस पड़ोसी मुल्क का यह ज्ञान है

सब सहन करता रहे बोले न कुछ
वो जहाँ में आज हिन्दुस्तान है

पार सीमा को कर चला आये यहाँ
चार उनके मार दे सम्मान है

दिल दुखाओ तुम किसी का क्यों कभी
इस खुदा के बन्दे का यह गान है

डॉ मधु त्रिवेदी

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