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23 Sep 2016 · 1 min read

देख चाँद गगन का

देख चॉद गगन से मुझे यूँ कहने लगा
इशारे इशारों में ही मुझे बुलाने लगा
आ जाओ अब छोड़ कर धरती तुम
कह कर चाँद इतना घूरने यूँ ही लगा

स्‍वप्‍न मेरे पानी के बुलबुलें जैसे ही हैं
तेरी नैनों के तीर से घायल हो जाते है
मेरे साथ तारों के बीच जा छुपा चाँद
रूप आज चाँद से मेरा निखर गया है

डॉ मधु त्रिवेदी

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