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21 Sep 2016 · 1 min read

आपसे जो मिले खिल कमल हो गए

दो मुक्तक
1
आपसे जो मिले खिल कमल हो गए
बोल भी प्यार की इक ग़ज़ल हो गए
ज़िन्दगी में मिली जो ख़ुशी आपसे
नैन भी बावरे हो सजल हो गए
2
बदल ये भले ही जमाना रहा है
मगर दर्द अपना पुराना रहा है
न आराम तन को , न है चैन में मन
कहाँ वक़्त पहला सुहाना रहा है

डॉ अर्चना गुप्ता

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