Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Aug 2016 · 1 min read

*अश्क*

अश्क आँखों में दबाना सीख ले
दर्द में भी मुस्कुराना सीख ले

प्रीत के ही गीत तू गाये सदा
वैर को दिल से भुलाना सीख ले

अब कहाँ मिलती पुरानी सी वफ़ा
इस जफा से दिल लगाना सीख ले

राह उजली या अँधेरी जो मिलें
तू उन्ही पर पग बढ़ाना सीख ले

हो गयी है अब सुहानी ये धरा
जीत को मन में समाना सीख ले धर्मेन्द्र अरोड़ा

Loading...