Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
8 Aug 2016 · 1 min read

पत्नी पीड़ित ऐ! भद्र जनों

पत्नी पीड़ित ऐ ! भद्र जनों
मेरी सलाह को अपनाओ
यदि जीवन सुखद बनाना है
यदि घर में स्वर्ग बसाना है
यदि पत्नी-सुख को पाना है
यदि निज सम्मान बचाना है
मेरे प्रियवर हे ! बन्धु सखे
मेरी सलाह सुनते जाओ
ससुराल से जाकर अपने घर
साली सालों को ले आओ
पत्नी यदि कुछ भी कहे तुम्हें
चुपचाप सुनो कर-वद्ध रहो
अपराध बिना भी दण्ड मिले
स्वीकार करो बस कुछ न कहो
उनके ही प्रिय अनुचर बनकर
हँसते हँसते सहते जाओ
उनको सम्पूर्ण समर्पित हो
त्यागो परिवार पिता माता
नित सास-ससुर के साथ रहो
ससुरालय से जोड़ो नाता
अपने प्रियजनों व मित्रों को
धीरे – धीरे तजते जाओ
घर की रखवाली भी होगी
यदि साथ रहेगा प्रिय साला
गुणगान करो सुन्दरता का
हो रूप- रंग चाहे काला
साली के प्रिय सहचर बनकर
बस हाँ में हाँ करते जाओ
शशि जो लक्ष्मी का भाई है
इसलिए विष्णु का साला है
साला ही समझ कर शिवजी ने
मस्तक पर उसे बिठला है
सदियों की यह परिपाटी है
अब तुम भी दोहराते जाओ
ससुराल .।….।।.।

Loading...