Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 Aug 2016 · 1 min read

द्वार खुले रखना

मैं जब आऊँ
सपनों के द्वार खुले रखना
अपना हाथ हाथ में रखना

मैं जब आऊँ
स्वरों लहरियों पर थिरकना
नया राग संगीत सजाये रखना

मैं जब आऊँ
सुर सरगम को बजाये रखना
स्पन्दन का मृदु संस्पर्श रखना

मैं जब आऊँ
भावों मे सागर सी गहराई रखना
मन की चंचलता में खोने देना

मैं जब आऊँ
प्रेम की पाती पत्र लिख रखना
कोमल कपोल मुस्कान रखना

मैं जब आऊँ
प्रेमी प्रिया का सा मान रखना
नवागता सा दुलार बनाये रखना

मैं जब आऊँ
दिल के द्वार आलोकित रखना
नव सृष्टि का उष्म जगाये रखना

मैं जब आऊँ
बालक सा प्यार दुलार मुझे देना
स्नेह सी मीठी -मीठी थपकी देना

मैं जब आऊँ
बाट देखते मेरी खड़े तुम रहना
कोमल पल्लव सा आलिंगन देना

डॉ मधु त्रिवेदी

Loading...