Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Aug 2016 · 1 min read

जो रोज़ बड़ों का अपने आशिष पाते हैं

जो रोज़ बड़ों का अपने आशिष पाते हैं।
कांटे उनकी राहों से खुद हट जाते हैं ।

है मान हमें अपनी सभ्यता पर भी जैसे
आओ गुण औेंरों के हम भी अपनाते हैं।

है शौक नहीं हमको ऐसे दिखावे का
जैसे दिल से हैं वैसे ही इतराते हैं।

बातें करने से कोई बदलाव नहीं होगा
आओ मिलजुल कर सारे कदम बड़ाते हैं।।।
कामनी गुप्ता ***

Loading...