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27 Jul 2016 · 1 min read

प्यारे भइया

प्यारे भइया

प्यारे भइया
कैसे हो तुम?
तुम्हें देखने की
तुमसे बतियाने की
तुम्हारे संग-संग बड़े होने की
रुठने मनाने की
बहुत तमन्ना थी मेरे मन में।
मैं चाहती थी तुम्हारी तरह
घर के आंगन में खेलूं
माॅं की छाती से चिपककर
कभी हंसू, कभी रो दूं।

भइया
मैं चाहती थी कि
तुम्हारी तरह स्कूल जाउूं
पढ़लिखकर
बैछेन्दीपाल, पी.टी. उषा,
कल्पना चावला
सानिया मिर्जा, अंजू बाबीजार्ज
सरीखा नाम कमाउं।

देना चाहती थी आकार
मैं अधुबुने सपनों को
होना चाहती थी परिचित
जगत की आबौहवा से
चाहती थी उडना
अनन्त आकाश से आगे।

देखना चाहती थी तुम्हें करीब से
चलना चाहती उंगली पकड़कर
तुम्हारे संग
लेकिन अचानक क्रूर हाथों ने
तोड़ दी मेरी आस
बंद करदी मेरी सांस
मिटा दिया मेरे सपनों को
एक ही झटके के साथ।

देखती क्या हूॅं
अपनों के ही हाथ रंगे हैं
मेरे लहू से
मां के गर्भ में लिंग जांच कर
मिटा दिया मुझे
लड़की होना ही था
शायद मेरा अपराध।

दुनियां देखने के अरमान
आकाश से आगे उड़ने के सपने
अधूरे ही रह गये,
मेरे अपने ही मेरे बैरी बन गये।

मेरे भइया
अपनी इस अजन्मी बहन की
एक बात
तुम जरूर याद रखना
यदि कभी तुम्हारे कोई लड़की हो
उसकी भू्रण हत्या मत करना
तुम उसकी हत्या मत करना।

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