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25 Jul 2016 · 1 min read

मुक्तक

लगा दे घाव पर मरहम , दिवाना आज है कोई
कसकते लब हँसी ला दे , तराना साज है कोई
गुमशुदा हो भटकते जो , फिरे आतंक के तम में
जुदा रूहें मिला दे पल , बता वह राज है कोई

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