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21 May 2016 · 1 min read

मुक्तक

गांठ दिल की तुम कहो तो खोल दूं
देख ली दुनिया बहुत क्या मोल दूं
बेमतलब तो प्यार भी होता नहीं
सीख ली है ये रवायत बोल दूं

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