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21 Jul 2016 · 1 min read

ए वक्त तूं...!

ए वक्त तूं बहुत पाबंद है…
तेरे साथ हर कोई रज़ामंद है…
तूं चलता रहता है, बिना थकान, बिना अरमान
किसी को कुछ बताता नहीं, चाह कर भी बोल पाता नहीं
क्यों है तेरी यह मजबूरी, क्यों है हर वस्तु तुम से अधूरी
अच्छे तूं, बुरे का तूं…आखिर क्या बला है तूं
अगर ठहर जाउगे तो तुम्हारा क्या जाएगा
किसी की बेला पे कोई ग्रहण लग जाएगा
बहुत करने से तुम से सवाल
क्यों होता है तेरा हर पल बवाल
लाख उलहने सहते हो, फिर भी खुद की धुन में रहते हो
ए वक्त तूं बड़ा बलवान है…..आपने-आप में सब की पहचान है…!

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