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16 Jul 2016 · 1 min read

शायरी -

ये मेरी बेबसी है या मेरी गुरूरदारी है ;
चंद लम्हों की जिन्दगी में ख्वावजारी है |
ख्वाहिशों के दिये जो भी जले बुझते ही गये;
उन आंधियाों को कैसे रोकूं जिनसे मेरी यारी है |

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