Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
14 Jul 2016 · 1 min read

मोहब्बत को पैरहन की तरह हमेशा ही बदले जो

मोहब्ब्त को पैरहन की तरह हमेशा ही बदले जो
बातें ताज की ही फिर ऐसे बशर अब करते क्यों
संग मुमताज़ उन हजारों की आत्माएं भी रोती हैं
मोहब्बते-पाक की ख़ातिर लहद में सब रहते जो ।।
शुचि(भवि)

Loading...