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17 Dec 2025 · 1 min read

सोरठा

सोरठा
मापनी-११/१३
विषम चरण में सम तुकांत
सृजन शब्द-जनक नंदिनी

आयी चुनने फूल,जनक नंदिनी बाग में।
सुध-बुध बैठी भूल,देखा जो श्री राम को।।

जागा मन अनुराग,रघुवर से आँखे लड़ी।
माना राम सुहाग,जनक नन्दिनी खो गयी।।

होगी कोई नार,जनक नंदिनी सी कहाँ।
लेती वक्कल धार,छोड़ राजसी वसन को।।

सिया राम आधार,सकल जगत में त्याग का,
धर्म किया साकार,राज तिलक ठुकरा दिया।।

सीमा शर्मा अंशु विजया’

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