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17 Dec 2025 · 1 min read

ग़ज़ल-कभी मौत से यूं......


बह्र-122, 122,122,122
*काफि़या-आत……
रदीफ़ -…….होगी

कभी मौत से यूं मुलाकात होगी।
बड़ी चाह से जीस्त की बात होगी।।

छुटे साँस मेरी जरा देर से जो,
कठिन बीतनी वो बड़ी रात होगी।

बदन बोझ लगने लगेगा तभी से,
बुरे मर्ज़ की जब शुरूआत होगी।

जहाँ छोड़ जाना हमें इस तरह से,
न दीदार की पास सौगात होगी।

पलक बंद होगी सदा के लिए जब,
तभी प्यार की खूब बरसात होगी।

भला सोचते जो सभी का जगत में,
नेक फरिश्तों की रही जात होगी।

लगाना यहाँ दिल जरा सोच कर तू,
यहाँ रोज विश्वास की घात होगी।

सीमा शर्मा’अंशु विजया’

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